Hindi

माँ…..

आज मैं पहली बार कुछ हिंदी में लिखने जा रही हूँ. मैं माफ़ी चाहती हूँ, जिन्हें हिंदी नहीं आती उनसे (Those who can’t read or understand Hindi, I apologize to them) I AM SORRY पर मुझे इसे हिंदी में ही लिखना था आज. जो मैं आज लिख रही हूँ ये मैंने कहीं पढ़ा था और ये मेरे दिल को बहुत छु गया, क्यूंकि इसका हर शब्द मुझे सही लगा. हम अक्सर हमारी माँ को कभी ये नहीं कह पाते के हम उनसे कितना प्यार करते हैं, पर दिल से हम जानते है कि उनकी जगह या उनके द्वारा बनायीं गयी किसी भी चीज़ कि जगह हमारी ज़िंदगी में हमारे दिल में कभी भी कोई नहीं ले सकता. है. हम सब जानते है, पर कभी अपनी माँ से कुछ कह नहीं पाते, ये नहीं कह पाते के माँ आप सबसे अच्छी है, आपके हाथ का खाना, आपके हाथों से बनी हर एक चीज़ बेमिसाल है, आप इस दुनिया में सबसे अच्छी है और मैं आपके बिना कुछ भी नहीं, I LOVE YOU MAA ❤ …कुछ ही दिनों में MOTHER’S DAY आ रहा है,शायद कल ही है 🙂 पर मुझे लगता है सिर्फ एक ही दिन क्यों? क्या हम हर दिन अपनी माँ कि इज़्ज़त और उन्हें प्यार करते हुए नहीं बिता सकते? उनके लिए कुछ ख़ास करते हुए नहीं बिता सकते? बस अपने हर दिन में से सिर्फ एक पल अपनी माँ को प्यार से गले लगाइये, उनके लिए हर दिन ख़ास बन जायेगा और हम सबको MOTHER’S DAY का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा. 😉 🙂 चलिए, अब मैं आप सब को वो छोटी सी कहानी दिखती हूँ जो मेरे दिल को बहुत छु गयी, हो सकता है आप सबने ये कहानी कहीं पढ़ी हो पहले, पर मुझे ये बहुत अच्छी लगी इसलिए मैं इसे अपने blog पे share कर रही हूँ . मुझे उम्मीद है आप सबको भी अच्छी लगेगी. 🙂

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” बचपन में माँ के हाथ के बने बहुत कपड़े पहने हैं। तरह-तरह की फ्रिल वाली फ़्रोक, डिजाईन डालकर बनाये गए प्यारे-प्यारे सइ स्कर्ट-टॉप। उनकी बनाई एक फ़्रोक की जेकेट तो अभी तक रखी है, मेरा वश चलता तो वो फ़्रोक भी कभी न फेंकने देती, लेकिन कपड़े की उम्र मेरी उम्र के साथ बढ़ नहीं पाई और मुझे उन कपड़ों को पीछे छोड़कर बड़ा होना पड़ा। उनके हाथ के बने कुछ स्वेटर तो आज भी पहन लेती हूँ, बाहें थोड़ी छोटी हो गई हैं लेकिन किसे फ़र्क पड़ता है बाहों से, जब स्वेटर माँ के हाथ का बना हो तो।
बचपन में जब माँ कपड़े बनाती थी तो मेरी पहली शर्त होती थी कि जो फ़्रोक मैं पहनूँगी बिलकुल वैसी ही फ़्रोक मेरी गुड़िया के लिए भी बनानी पड़ेगी और मेरी ख्वाहिश पूरी ख़ुशी से माँ पूरी भी करती थीं। मेरी गुडिया मोहल्ले की सबसे अमीर गुड़िया मानी जाती थी क्योंकि उसके पास लहंगे से लेकर फ़्रोक तक, टॉप स्कर्ट से लेकर साड़ी तक ढेरों कपड़े होते थे, जिन्हें माँ ने हमें सिलाई मशीन के बगल में बैठा कर ही सिया होता था, हाथ से चलानी वाली उस मशीन का हत्था हम ही तो घुमाते थे। बचपन में मैं माँ से कहती थी कि जब मेरी शादी होगी तब मेरा लहंगा भी आप ही सीना तो माँ हँसती, कहतीं तेरा लहंगा तो तेरा दूल्हा लाएगा और मैं रो देती कि मैं किसी और का दिया लहंगा नहीं पहनूँगी । पर अब वो लम्हे सिर्फ मीठी यादें हैं… 🙂

हम शायद अपने कल को वो मीठी यादें न दे पाएँ… क्यूंकि अब लड़कियों का सिलाई मशीन चलाना, सीखना पुराना हो चुका है. अब माएँ बच्चों के साथ बैठकर कपड़े नहीं सीतीं बल्कि टच स्क्रीन (touch screen) पर ढेरों वेबसाइट (websites) खोलकर कपड़े चुनती हैं, अब बार्बी डॉल (barbie doll) का ज़माना है, फैशन या तरक्की के नाम पे हम कहीं न कहीं अपनी ज़िंदगी कि छोटी छोटी खुशियों को भूल गए हैं. अब न माओं के पास उतना टाइम है न बच्चियों के पास, हमने तरक्की जो कर ली है… लेकिन कोई भी तरक्की माँ के हाथ के बने कपड़ों का सुख नहीं दे सकती। माँ कि वो पुरानी यादों कि जगह नहीं ले सकती. वक़्त बदल गया है, पर माँ या माँ से जुड़ा कोई भी रिश्ता कभी नहीं बदल सकता. 🙂 “

मैं नहीं जानती ये प्यारी सी कहानी किसने लिखी है, मुझे मेरी एक दोस्त ने ये forward किया था….पर जिसने भी लिखी है बहुत अच्छी लिखी है और मैं उसे THANK YOU कहना चाहती हूँ. 🙂

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13 thoughts on “माँ…..”

  1. Nice one! Kahani bahot hi achhi lagi, aur ha jamana sach me badal gaya hai, aaj hi ki baat hai ek aunty ko gappe martey suna tha.. Keh rahi thi bacche vacation me ghar rehte hai to tang karte hai, school n class me din bhar bahar rahe wohi achha hai. I mean, kya ab log apne family ke sath vakt bhi bitana nahi chahte? Strange hai na?

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    1. Bahot zyada strange hain and yes aisa hota hain, maine bhi bahot si families ko dekha hain jo bacchon ke sath irritate feel karti hain. I really don’t know, yeh log actually chahtein kya hain, Ek taraf toh bacchon ko kehtein hain ke family ke sath time guzaaron, yaa fir jab budhe ho jate hain toh kehtey hain ke hamare bacchein hamare sath vaqt nahi bita rahey…I mean yeh sab unn hi logon ki toh sikh hoti hain, Pehle bacchon ko khud se dur rakhtey hain aur fir bacchon ko hi blame kiya jata hain… Ha aaj ki generation bhi galt hoti hain, par kabhi-kabhi kuch parents bhi galt hotey hain and this is really sad 😦 But I personally think, jaisa bhi ho, Hamein hamare Parents ki hamesha respect hi karni chahiye, kyunki Vo log hain toh hi Ham hain 🙂 🙂

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  2. Its lovely ❤
    Jisne bhi likhi hai ye khaani..bhut khoob likhi h..sachi 🙂 Thanks for sharing this Karuna 🙂
    or bhut shi kha, hum apne sbse khas logo ko hi ye saaf saaf nhi kh paate ki wo kitne khaas, kitne pyare hain hame..chahe wo maa, papa, bhai ya behen ho..ye wo rishte h jo sbse anmol h!

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